Ad

बिहार सरकार

गेंदे की खेती के लिए इस राज्य में मिल रहा 70 % प्रतिशत का अनुदान

गेंदे की खेती के लिए इस राज्य में मिल रहा 70 % प्रतिशत का अनुदान

गेंदे के फूल का सर्वाधिक इस्तेमाल पूजा-पाठ में किया जाता है। इसके साथ-साथ शादियों में भी घर और मंडप को सजाने में गेंदे का उपयोग होता है। यही कारण है, कि बाजार में इसकी निरंतर साल भर मांग बनी रहती है। 

ऐसे में किसान भाई यदि गेंदे की खेती करते हैं, तो वह कम खर्चा में बेहतरीन आमदनी कर सकते हैं। बिहार में किसान पारंपरिक फसलों की खेती करने के साथ-साथ बागवानी भी बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। 

विशेष कर किसान वर्तमान में गुलाब एवं गेंदे की खेती में अधिक रूची एवं दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इससे किसानों की आमदनी पहले की तुलना में अधिक बढ़ गई है। 

यहां के किसानों द्वारा उत्पादित फसलों की मांग केवल बिहार में ही नहीं, बल्कि राज्य के बाहर भी हो रही है। राज्य में बहुत सारे किसान ऐसे भी हैं, जिनकी जिन्दगी फूलों की खेती से पूर्णतय बदल गई है।

बिहार सरकार फूल उत्पादन रकबे को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दे रही है

परंतु, वर्तमान में बिहार सरकार चाहती है, कि राज्य में फूलों की खेती करने वाले कृषकों की संख्या और तीव्र गति से बढ़े। इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने फूलों के उत्पादन क्षेत्रफल को राज्य में बढ़ाने के लिए मोटा अनुदान देने की योजना बनाई है। 

दरअसल, बिहार सरकार का कहना है, कि फूल एक नगदी फसल है। यदि राज्य के किसान फूलों की खेती करते हैं, तो उनकी आमदनी बढ़ जाएगी। ऐसे में वे खुशहाल जिन्दगी जी पाएंगे। 

यह भी पढ़ें: इन फूलों की करें खेती, जल्दी बन जाएंगे अमीर

बिहार सरकार 70 % प्रतिशत अनुदान मुहैय्या करा रही है

यही वजह है, कि बिहार सरकार ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत फूलों की खेती करने वाले किसानों को अच्छा-खासा अनुदान देने का फैसला किया है। 

विशेष बात यह है, कि गेंदे की खेती पर नीतीश सरकार वर्तमान में 70 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है। यदि किसान भाई इस अनुदान का फायदा उठाना चाहते हैं, तो वे उद्यान विभाग के आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। 

किसान भाई अगर योजना के संबंध में ज्यादा जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो horticulture.bihar.gov.in पर विजिट कर सकते हैं।

बिहार सरकार द्वारा प्रति हेक्टेयर इकाई लागत तय की गई है

विशेष बात यह है, कि गेंदे की खेती के लिए बिहार सरकार ने प्रति हेक्टेयर इकाई खर्च 40 हजार निर्धारित किया है। बतादें, कि इसके ऊपर 70 प्रतिशत अनुदान भी मिलेगा। 

किसान भाई यदि एक हेक्टेयर में गेंदे की खेती करते हैं, तो उनको राज्य सरकार निःशुल्क 28 हजार रुपये प्रदान करेगी। इसलिए किसान भाई योजना का फायदा उठाने के लिए अतिशीघ्र आवेदन करें।

सूखे से निपटने के लिए किसानों की मदद कर रही है बिहार सरकार

सूखे से निपटने के लिए किसानों की मदद कर रही है बिहार सरकार

लगातार प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून की बेरुखी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, जो कि धरती पर रह रहे लोगों के लिए चिंता का विषय है। क्योंकि पानी एक मूलभूत संसाधन है जिसकी जरुरत धरती में रहने वाले प्राणियों के साथ-साथ पेड़ पौधों एवं पशु पक्षियों को भी है। इन दिनों मानसून की बेरुखी के कारण कई राज्य सूखे की मार झेल रहे हैं, जिसका असर उस राज्य के किसानों पर पड़ रहा है। किसान बिना पानी के अपनी खेती को उपजाने में समर्थ नहीं हैं। ऐसे में कुछ राज्य सरकारें इस मामले में किसानों की सहायता के लिए आगे आई हैं। बिहार सरकार ने सूखे से निपटने के लिए कमर कस ली है। इस बार बिहार में बेहद क़म बरसात हुई है जिसके कारण बिहार के कई जिले सूखे की चपेट में हैं। इस सूखे का असर बिहार में खरीफ की फसल पर पड़ा है। सूखे के कारण बिहार के एक बड़े क्षेत्र में धान की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसके बाद बिहार सरकार सूखे से निपटने के लिए एक योजना लागू करने जा रही है। इसके अंतर्गत सरकार किसानों को कम समय में फसल देने वाले बीज उपलब्ध करवा रही है, ताकि सूखे से होने वाले नुकसान की थोड़ी बहुत भरपाई की जा सके। कम समय में फसल देने वाले बीजों से किसान बेहद जल्दी फसल ले सकते हैं। ऐसे बीजों को परम्परागत बीजों के जितना पानी की जरुरत नहीं होती है। इस योजना को बिहार सरकार ने 'आकस्मिक फसल योजना' (Bihar Aaksmik Fasal Yojana 2022) का नाम दिया है।


ये भी पढ़ें:
हल्के मानसून ने खरीफ की फसलों का खेल बिगाड़ा, बुवाई में पिछड़ गईं फसलें
बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh) ने बताया, "आकस्मिक फसल योजना" के अंतर्गत प्रभावित जिलों के लिए 18,153 क्विंटल बीज की आपूर्ति की मांग की गई है, जिसकी जल्द से जल्द आपूर्ति कर दी जाएगी। यह आपूर्ति बिहार बीज निगम द्वारा 3 सितम्बर तक की जाएगी, जिसका वितरण जल्द से जल्द प्रभावित किसानों को कर दिया जाएगा। इस वितरण को 15 सितम्बर के पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।" उन्होंने आगे बताया, अभी तक बीज निगम द्वारा राज्य के किसानों को बड़ी मात्रा में बीजों का आवंटन किया जा चुका है, जिसमें 1,201 क्विंटल अरहर, 159 क्विंटल उड़द, 150 क्विंटल ज्वार तथा 803 क्विंटल मक्का के बीज सम्मिलित हैं। कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने बताया कि सूखे जैसे हालातों से निपटने के लिए बिहार सरकार का मुख्य फोकस राज्य के 11 जिलों पर है, जिनमें जमुई, भागलपुर, बांका, जहानाबाद, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, नालंदा, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद और गया को सम्मिलित किया गया है। इन जिलों में कम समय में फसल तैयार होने वाले बीज उपलब्ध करवाए जायेंगे, क्योंकि इन जिलों में सूखे की वजह से धान की खेती बुरी तरह से प्रभावित हुई है। बीज वितरण के तहत इनमें से कई जिलों में जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में बीज वितरण का कार्य प्रारम्भ भी किया जा चुका है। बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने बताया कि बिहार सरकार सूखे को देखते हुए प्रदेश के किसानों की मदद करने के लिए डीजल में भी अनुदान दे रही है। डीजल अनुदान प्राप्त करने के लिए किसान कृषि विभाग की वेबसाइट में ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। यह अनुदान 29 जुलाई 2022 से देना प्रारम्भ किया गया है। इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए अभी तक 4,36,820 किसानों ने ऑनलाइन अप्लाई किया है, साथ ही 1,86,108 किसानों के आवेदनों को सत्यापन करके उनके बैंक खाते में डीजल की अनुदान राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से पहुंचाई जा चुकी है। इनके आवेदनों को हर पंचायत में कृषि समन्वयक द्वारा सत्यापित किया जाता है, जिसके बाद ही सरकार सम्बंधित किसानों को अनुदान राशि मुहैया करवाती है।
सेब की खेती संवार सकती है बिहारी किसानों की जिंदगी, बिहार सरकार का अनोखा प्रयास

सेब की खेती संवार सकती है बिहारी किसानों की जिंदगी, बिहार सरकार का अनोखा प्रयास

आप अभी बाजार में सेब (seb or apple) देखते होंगे तो आपको लगता होगा कि ये सेब या तो जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश या किसी ठंडे प्रदेशों से आया है, क्योंकि अब तक आप यही जानते थे कि सेब सिर्फ ठंडे प्रदेशों में होता है। लेकिन जब आप यह जानेंगे कि अब सेब बिहार में भी उगने लगा है तो आपको हैरानी होगी। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि बिहार सरकार के प्रयास से बीते साल बेगूसराय जिले में सेब की खेती (seb ki kheti or apple farming) की शुरुआत की गई थी, जिसमें वहां के किसानों ने काफी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। आपको यह भी बता दे कि अब तक सेब सिर्फ हिमालयी प्रदेशों में हुआ करता था। लेकिन सब कुछ अच्छा रहा तो अब सेब बिहार में भी उगेगा, यह एक अनोखा प्रयास है बिहार सरकार का, जिससे यहां के किसानों को काफी फायदा और लाभ मिलेगा।

ये भी पढ़ें: सेब के गूदे से उत्पाद बनाने को लगाएं उद्यम

वैज्ञानिक की राय

भारत के सुप्रसिद्ध फल वैज्ञानिक, जो बिहार में फलों को लेकर बहुत दिनों से शोध करते हुए आ रहे हैं और किसानों को नई दिशा दे रहे हैं, उनके अनुसार सेब की खेती बिहार में किसानों के लिए वरदान है। उन्होंने बताया कि जब इसकी शुरुआत बेगूसराय में की गई तो शुरुआती दिनों में मौसम के कारण कुछ परेशानियां सामने आई, जिसे बिहार सरकार की मदद से ठीक कर लिया गया है और अब सेब की खेती सामान्य गति से हो रही है। गौरतलब है कि पूरे बिहार के किसान अब सेब की खेती में काफी बढ़ चढ़कर नई ऊर्जा और विश्वास के साथ हिस्सा ले रहे हैं। आने वाले दिनों में किसान को काफी लाभ होगा। बिहार में सेब की खेती एक खास किस्म के पौधों से संभव हो पायी है, जिसको वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार किया गया है, इसका नाम है, हरमन 99 या हरिमन 99 एप्पल (HRMN-99 Apple or Hariman 99 apple)। आपको जान कर आश्चर्य होगा कि इस नए किस्म की उपज 40-45 डिग्री तापमान पर भी संभव है और इसी गुण के कारण यह बिहार ही नहीं अपितु राजस्थान में भी इसको उगाने का प्रयास किया जा रहा है और यह लगभग सफल होता भी साबित हो रहा है।

ये भी पढ़ें: ऐसे एक दर्जन फलों के बारे में जानिए, जो छत और बालकनी में लगाने पर देंगे पूरा आनंद
यही खूबी है कि इसकी उपज आने वाले कुछ दिनों में और भी अच्छी हो जाएंगी और बिहारी सेब भी भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में जगह बना लेगा। आपको बता दें कि इसका प्रजनन भी स्वपरागण (self pollination) के द्वारा होगा, ताकि इसे किसी भी बगीचे में आसानी से उगाया जा सकता है। आपको बता दे कि बिहार के बेगूसराय और औरंगाबाद के कुछ जिलों में किसान अपने स्तर से इसकी खेती कर रहे हैं। यह भी बताया जा रहा है कि इसका पैदावार भी बहुत उन्नत किस्म का है, इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में बिहार के सेब का स्वाद और रंग कश्मीर और हिमाचल वाले सेब से कम नही होगा।

ये भी पढ़ें: अब सरकार बागवानी फसलों के लिए देगी 50% तक की सब्सिडी, जानिए संपूर्ण ब्यौरा

किसानों को विशेष प्रशिक्षण

बिहार सरकार बिहारी सेब की खेती को बढ़ावा देने के लिए इसे एक अभियान की तरह चला रही है। इसके पैदावार को बढ़ाने के लिए इच्छुक किसान को प्रशिक्षण भी देने की बात कही है, ताकि वे सेब की खेती से जुड़े हर तकनीक को समझ सके। बिहार सरकार और वैज्ञानिक डॉक्टर एस के सिंह का भी मानना है कि अगर किसान पारंपरिक खेती जैसे धान, गेहूं आदि के अलावा सेब की खेती पर ध्यान देते हैं, तो यह वाकई में उनके लिए एक वरदान से कम नही होगा और उनकी आय भी आने वाले दिनों में दुगुनी, तिगुनी हो सकती है।
शहर में रहने वाले लोगों के लिए आयी, बिहार सरकार की ‘छत पर बाग़बानी योजना’, आप भी उठा सकते हैं फ़ायदा

शहर में रहने वाले लोगों के लिए आयी, बिहार सरकार की ‘छत पर बाग़बानी योजना’, आप भी उठा सकते हैं फ़ायदा

बढ़ते शहरीकरण और जमीन की उर्वरा क्षमता में कमी आने की वजह से पिछले 4 से 5 वर्षों में रूफटॉप गार्डन (Roof / Terrace gardening) यानी छत पर बागवानी विधि का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ा है। इसी बढ़ते हुए प्रभाव को मध्यनजर रखते हुए बिहार सरकार के बागवानी विभाग ने भी बिहार के शहरों में रहने वाले लोगों के लिए 'छत पर बागवानी योजना' नाम से नई परियोजना शुरू कर शहरों में बागबानी की उपज को बढ़ाने के लिए कमर कस ली है।

क्या है रूफटॉप गार्डन ?

रूफटॉप गार्डन मुख्यतः बड़े अपार्टमेंट और शहरों में बने घरों की छत पर बने हुए गार्डन होते हैं, जो सामन्यतः डेकोरेशन में इस्तेमाल होने के अलावा घर में रहने वाले स्थानीय लोगों के लिए भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। कई प्रकार के हाइड्रोलॉजिकल फायदे (Hydrological benefit) होने के अलावा, रूफटॉप गार्डन की मदद से घर के तापमान को भी नियंत्रित किया जा सकता है तथा छत पर होने वाली बारिश के पानी (Rain Water Harvesting) का भी बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है।

क्या है बिहार सरकार की 'छत पर बागवानी योजना' का मुख्य उद्देश्य ?

कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले बागवानी विभाग की वेबसाइट के अनुसार इस योजना को मुख्यतः शहरी क्षेत्रों में बने घरों की छत पर फूल और फल तथा सब्जियां उगा कर दैनिक जीवन में इस्तेमाल करने योग्य बनाना है। महाराष्ट्र, गुजरात तथा कर्नाटक जैसे राज्यों में छत पर बागवानी से जुड़ी योजनाओं की सफलता के बाद बिहार सरकार का यह प्रयास 'आत्मनिर्भर भारत' की राह पर एक प्रबल कदम है। वर्तमान में इस योजना में बिहार के 4 जिले पटना, गया तथा मुजफ्फरपुर और भागलपुर को शामिल किया गया है। पटना के पटना सदर और फुलवारी तथा गया के बोधगया तथा मानपुर प्रखंडो में इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे मुजफ्फरपुर के मुशहरी और भागलपुर के जगदीशपुर तथा नाथनगर जैसे प्रखंडों के निवासियों के लिए भी उपलब्ध करवाया जाएगा।


ये भी पढ़ें: बिहार सरकार की किसानों को सौगात, अब किसान इन चीजों की खेती कर हो जाएंगे मालामाल

क्या है योजना की पात्रता ?

बिहार सरकार की इस योजना का फायदा उठाने के लिए केवल वही लोग पात्र है, जिनके पास शहरी इलाकों में अपना खुद का घर हो या फिर वो किसी प्राइवेट अपार्टमेंट में किराए के फ्लैट में रहते हैं या उनका खुद का फ्लैट हो। यदि किसी व्यक्ति के पास स्वयं का मकान है तो छत पर 300 स्क्वायर फीट की खाली जगह होनी चाहिए, साथ ही यह क्षेत्र किसी कानूनी लड़ाई में सम्मिलित नहीं होना चाहिए। यदि आवेदक अपार्टमेंट के निवासी है तो उन्हें अपार्टमेंट की पंजीकृत सोसाइटी से अनापत्ति प्रमाण पत्र (No objection Certificate) लेने की आवश्यकता होगी। यदि आपके पास अपना खुद का मकान है, तो एक इकाई में अधिकतम 75% तक क्षेत्रफल में ही योजना का लाभ दिया जाएगा। पिछड़ी जातियों का खासतौर पर ध्यान रखते हुए किसी भी जिले में योजना के लिए प्राप्त सभी आवेदनों में से 16% आवेदन अनुसूचित जाति और 1% अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए आरक्षित किए जाएंगे। इसके अलावा बिहार सरकार के कृषि और बागवानी में महिलाओं की भूमिका बढ़ाने के फ्लैगशिप प्रोजेक्ट के तहत, कुल भागीदारी में से 30% आवेदन महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाएंगे।


ये भी पढ़ें: अब सरकार बागवानी फसलों के लिए देगी 50% तक की सब्सिडी, जानिए संपूर्ण ब्यौरा

योजना का लाभ उठाने की संपूर्ण प्रक्रिया :

ऊपर बताए गए चार जिलों में रहने वाले आवेदकों को सबसे पहले उद्यान निदेशालय की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया पूरी करनी होगी। नीचे दिए गये लिंक की मदद से आप सीधे ही आवेदन कर सकते हैं :- यहाँ क्लिक कर सीधे कर सकते हैं आवेदन योजना का लाभ लेने के इच्छुक लोगों को ध्यान रखना होगा कि संपूर्ण प्रक्रिया ऑनलाइन ही संपादित होगी और इस प्रक्रिया में आवेदक को नाम और जाति संबंधित सभी जानकारियां देने के अलावा, योजना के कार्यान्वयन करने वाली कंपनी की जानकारी भी उपलब्ध करवानी होगी। यदि कोई भी व्यक्ति इस योजना के लिए अलग से पैसे की मांग करता है तो उसकी शिकायत वेबसाइट पर ही उपलब्ध शिकायत निवारण पोर्टल (Grievance redressal portal) पर कर सकते हैं। एक बार आवेदन जमा हो जाने के बाद आपको एक रसीद दी जाएगी, इस प्राप्त रसीद में एक बैंक खाता संख्या और अन्य प्रकार के विवरण दिए जाएंगे। योजना का लाभ प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्तियों को दिए गए बैंक खाते में 25000 रुपए की एकमुश्त राशि जमा करवानी होगी। इस बात का ध्यान रखें कि आगे की संपूर्ण प्रक्रिया इस राशि के जमा होने के बाद ही हो पाएगी। यदि कोई व्यक्ति अपने घर की छत पर इस योजना का फायदा उठाना चाहता है तो वह अधिकतम 2 इकाइयों के लिए आवेदन कर सकता है और एक अपार्टमेंट या एक सोसायटी में रहने वाले लोग अधिकतम 5 इकाइयों का आवेदन कर सकते हैं।


ये भी पढ़ें: यूटूब की मदद से बागवानी सिखा रही माधवी को मिल चुका है नेशनल लेवल का पुरस्कार

एक इकाई योजना में निम्न उपकरणों और सुविधाओं को शामिल किया गया है :

  • जैविक बाग (organic garden) बनाने के लिए 4 किट
  • ट्रे (Tray) के साथ आने वाली प्लास्टिक की पीएसटी
  • 10 फ्रूट बैग (Fruit Bag)
  • 10 फ्रूट प्लांट्स (Fruit Plants)
  • सैपलिंग (sapling) में इस्तेमाल आने वाली 3 ट्रे
  • हाथ से इस्तेमाल किया जाने वाला एक स्प्रे
  • खुदाई और निराई गुड़ाई करने के लिए 2 खुरपी
इसके अलावा एक बार बागान बनने के बाद कृषि से जुड़े विशेषज्ञों की जानकारियां और ट्रेनिंग जैसी खास सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जाएगी। आशा करते हैं कि Merikheti.com के द्वारा उपलब्ध करवाई गई यह जानकारी, 'छत पर बागवानी' करने के विषय में इच्छुक व्यक्तियों को पसंद आई होगी और खास तौर पर बिहार के निवासी, सरकार की इस स्कीम का फायदा उठाकर आने वाले समय में अच्छा मुनाफा कमाने के साथ ही जैविक सब्जियों का इस्तेमाल भी कर पाएंगे।
रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर 80 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है ये राज्य सरकार, यहां करें आवेदन

रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर 80 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है ये राज्य सरकार, यहां करें आवेदन

रबी का सीजन प्रारंभ हो चुका है। ऐसे में खेतों की जुताई की जा रही है ताकि खेतों को बुवाई के लिए तैयार किया जा सके। बहुत सारे खेतों में अब भी पराली की समस्या बनी हुई है, जिसके कारण खेतों को पुनः तैयार करने में परेशानी आ रही है। खेतों से फसल अवशेषों को निपटाना बड़ा ही चुनौतीपूर्ण काम है, इसमें बहुत ज्यादा समय की बर्बादी होती है। अगर किसान एक बार पराली का प्रबंधन कर भी ले, तो इसके बाद भी खेत से बची-कुची ठूंठ को निकालने में भी किसान को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन यदि आज की आधुनिक खेती की बात करें तो बाजार में ऐसी कई मशीनें मौजूद है जो इस समस्या का समाधान चुटकियों में कर देंगी। इन मशीनों के प्रयोग से अवशेष प्रबंधन के साथ-साथ खेतों की उर्वरा शक्ति में भी बढ़ोत्तरी होगी। ऐसी ही एक मशीन आजकल बाजार में आ रही है जिसे रोटरी हार्वेस्टर मशीन कहा जाता है। यह मशीन फसल के अवशेषों को नष्ट करके खेत में ही फैला देती है। यह मशीन किसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है। इस मशीन के फायदों को देखते हुए बिहार सरकार ने मशीन की खरीद पर किसानों को 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी देने के लिए कहा है।

क्या है रोटरी हार्वेस्टर मशीन

इस मशीन को रोटरी मल्चर भी कहा जाता है, यह मशीन बेहद आसानी से खेत में बचे हुए अनावश्यक अवशेषों को नष्ट करके खेत में फैला देती है, जिसके कारण खेत में पर्याप्त नमी बरकरार रहती है। इसके साथ ही खेत में फैले हुए अवशेष डीकंपोज होकर खाद में तब्दील हो जाते हैं। अवशेषों के प्रबंधन की बात करें तो यह मशीन खेत में उम्दा प्रदर्शन करती है।

ये भी पढ़ें: हरियाणा में किसानों को फसल अवशेष प्रबन्धन के लिए कृषि यंत्र अनुदान पर दिए जाएंगे

रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर बिहार सरकार कितनी देती है सब्सिडी

अगर रोटरी हार्वेस्टर मशीन की बात करें तो उस मशीन पर बिहार सरकार किसानों को 75 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान करती है। यह सब्सिडी बिहार का कृषि विभाग 'कृषि यंत्रीकरण योजना' के अंतर्गत किसानों को उपलब्ध करवाता है। बिहार सरकार के द्वारा जारी आदेश के अनुसार यदि बिहार का सामन्य वर्ग का किसान रोटरी हार्वेस्टर मशीन लेने के लिए आवेदन करता है, तो उसे बिहार सरकार मशीन की खरीद पर 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी या अधिकतम 1,10,000 रुपये प्रदान करेगी। इसके साथ ही यदि बिहार का एससी-एसटी, ओबीसी और अन्य वर्ग का किसान रोटरी हार्वेस्टर मशीन खरीदना चाहता है, तो आवेदन करने के बाद सरकार उसे रोटरी मल्चर पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी और रूपये में अधिकतम 1,20,000 रुपये की सब्सिडी प्रदान करेगी।

ये भी पढ़ें: पराली से निपटने के लिए सरकार ने लिया एक्शन, बांटी जाएंगी 56000 मशीनें

रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए ऐसे करें आवेदन

बिहार सरकार के आदेश के अनुसार रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए किसान को बिहार का निवासी होना जरूरी है। साथ ही उसके पास कृषि योग्य भूमि भी होनी चाहिए। ऐसे किसान जो रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर सब्सिडी प्राप्त चाहते हैं, वो बिहार कृषि विभाग के पोर्टल https://dbtagriculture.bihar.gov.in/ पर जाकर अपना ऑनलाइन आवेदन भर सकते हैं। किसानों को ऑनलाइन आवेदन भरते समय आधार कार्ड, पैन कार्ड, जमीन के कागजात, पासपोर्ट साइज फोटो, बैंक खाता संख्या और मोबाइल नंबर अपने साथ रखना चाहिए। इनकी डीटेल आवेदन भरते समय किसान से मांगी जाएगी। इसके अलावा यदि किसान कृषि यंत्रों से संबंधित किसी भी प्रकार की अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो वो कृषि विभाग के हेल्पलाइन नंबर 18003456214 पर भी संपर्क कर सकते हैं।

बिहार सरकार छठ पूजा से पहले देगी सूखा से प्रभावित किसान परिवार को ३५०० रुपये की आर्थिक सहायता

बिहार सरकार छठ पूजा से पहले देगी सूखा से प्रभावित किसान परिवार को ३५०० रुपये की आर्थिक सहायता

छठ पूजा से पूर्व बिहार सरकार ने सूखाग्रस्त परिवारों की 500 करोड़ रुपये धनराशि देकर सहायता करने का बिगुल बजा दिया है। सूखाग्रस्त प्रत्येक किसान परिवारों को 3500 रुपये की आर्थिक सहायता मुहैय्या कराई जाएगी। देश व प्रदेश अत्यधिक बारिश, सूखा एवं बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बहुत प्रभावित हुआ है, जिसकी वजह से किसानों की आजीविका को खतरा और बहुत नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। किसानों की करोड़ों रुपये की फसल चौपट हो चुकी है। मूसलाधार बारिश के कारण किसानों को हुए बेहद नुकसान से राहत दिलाने के लिए बिहार सरकार आर्थिक सहायता कर रही है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, सहित समस्त राज्य सरकारें फसल मुआवजा एवं केंद्र की योजनाओं के चलते किसानों को बीमा की धनराशि प्रदान करने में सहायता कर रही हैं। इसी क्रम में बिहार सरकार भी किसानों की सहायता के लिए कदम उठा रही है। बिहार के मुख्यमंत्री ने सूखाग्रस्त किसानों की मदद करने का एलान किया है। बिहार राज्य के मुख्यमंत्री ने हेलीकॉप्टर एवं भूमिगत स्तर पर घूमकर फसल में हुई हानि का मुआयना किया था। बिहार के समस्त जनपदों की जमीनी सच्चाई को देखा है, जिसके अंतर्गत 11 जनपद ऐसे हैं , जो कि काफी हद तक सूखाग्रस्त हो चुके हैं। सभी जनपदों का मुआयना करने के उपरांत जनपदों की 937 पंचायतों को गंभीर रूप से सूखाग्रस्त माना गया है।


ये भी पढ़ें: बिहार सरकार ने रबी रथ महाभियान शुरू कर किसानों को योजनाओं के बारे में बताने का कार्य शुरू कर दिया

बिहार सरकार देगी हर सूखाग्रस्त किसान परिवार को 3500 रुपये की आर्थिक सहायता

बिहार सरकार द्वारा प्रत्येक सूखाग्रस्त परिवार को 3500 रुपये की आर्थिक सहायता मुहैय्या कराई जायेगी। इसी के चलते राज्य सरकार ने 500 करोड़ रुपये की धनराशि डाल दी है। बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने समस्त जनपदों के डीएम एवं सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा है कि छठ पूजा से पूर्व किसी भी हालत में सूखाग्रस्त किसान परिवारों के खाते में आर्थिक सहायता की धनराशि शीघ्रता से पहुँच जानी चाहिए, जिसके लिए सम्बंधित अधिकारी एवं कर्मचारी सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। बिहार राज्य के मुख्यमत्री नीतीश कुमार जी का सख्त आदेश है कि कोई भी पीड़ित किसान आर्थिक सहायता से वंचित नहीं रहना चाहिए। किसान द्वारा किसी भी प्रकार की शिकायत होने के उपरांत सम्बंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

तमिलनाडू राज्य सरकार द्वारा 481 करोड़ की किसानों को दी गयी आर्थिक सहायता

तमिलनाडू राज्य सरकार द्वारा 4.43 लाख किसानों को 481 करोड़ रुपये की किसानों को आर्थिक सहायता दी गयी है। पत्रकारों के माध्यम से बताया गया है कि तमिलनाडु राज्य के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन द्वारा साल 2021-22 के लिए तमिलनाडु के 4.43 लाख पीड़ित किसानों की फसल सुरक्षा के लिए 481 करोड़ रुपये धनराशि का फसल बीमा क्लेम पारित हो चुका है। साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन द्वारा प्रारंभिक वित्त वर्ष के लिए फसल बीमा योजना को राज्य अनुदान के तहत 2,057 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान की है। राज्य सरकार साल 2021- 22 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों की भरपूर सहायता करने का कार्य कर रही है। राज्य सरकार द्वारा किसानों की आर्थिक सहायता करने से किसानों को काफी हद तक राहत मिलेगी एवं राज्य की अर्थव्यवस्था भी अच्छी होगी।
दिवाली और महापर्व छठ पर बिहार सरकार ने दिया अनोखा गिफ्ट, खुल रहे हैं इतने नए कृषि कॉलेज!

दिवाली और महापर्व छठ पर बिहार सरकार ने दिया अनोखा गिफ्ट, खुल रहे हैं इतने नए कृषि कॉलेज!

दिवाली और महापर्व छठ के अवसर पर बिहार सरकार ने बिहार वासियों के लिए बहुत बड़ी सौगात दी है। कृषि के क्षेत्र में हो रहे बदलावों को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने नए कृषि महाविद्यालय खोलने का मन बना लिया है। एक्सपर्ट का मानना है की इस तरह के फैसले से बिहार के कृषि जगत में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत का कहना है की नए कृषि महाविद्यालय के खुलने से कृषि के क्षेत्र में क्रांति आएगी। कुमार सर्वजीत के अनुसार, कृषि महाविद्यालय के खुलने से जमीनी स्तर पर भारी बदलाव देखने को मिलेगा और साथ ही साथ अगले कुछ वर्षों में बिहार राज्य कृषि के क्षेत्र मे अग्रसर होगा। इससे लोगों को कृषि से जुड़ी हुई शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी जिससे किसान सफलतापूर्वक खेती करने में सक्षम हो पाएंगे। बिहार भारत का एक ऐसा राज्य है जो मुख्य रूप से कृषि उत्पादन के लिए जाना जाता है। बिहार में लगभग 1.5 करोड़ किसान हैं, यदि ये किसान आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खेती करना नहीं जानते हैं, तो वे प्रगति नहीं कर सकते। बिहार में कृषि अनुसंधान और शिक्षा को प्रोत्साहित किया जा रहा है, क्योंकि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि राज्य में उगाई जाने वाली फसलें उच्च कोटि की और सुरक्षित हों।


ये भी पढ़ें:
बागवानी की तरफ बढ़ रहा है किसानों का रुझान, जानिये क्यों?
कुमार सर्वजीत ने कहा कि जरूरत के मुताबिक नए कॉलेज खोले जाएंगे और छात्र अपनी जरूरत के हिसाब से बेहतरीन कॉलेज ढूंढ सकेंगे। कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने अपने विभागीय अधिकारियों से चर्चा करते हुए यह निर्देश भी दिया की जल्द से जल्द कृषि महाविद्यालय खोलने हेतु जगह का चयन किया जाए, साथ ही कृषि उन्नति के लिए हर तरह की संभावनाओं को तलाश किया जाए।

ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली का मिलेगा भरपूर लाभ

सरकार पारंपरिक कृषि आधारित शिक्षा के तरीके को बदलना चाहती है ताकि भविष्य में किसान ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली का लाभ उठा सके. सरकार का यह कदम बिहार के विकास मे काफ़ी मदगार साबित होने वाला कदम माना जा रहा है, जिससे आने वाले दिनों मे कृषि के क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। दूसरी तरफ दक्षिण बिहार में सरकार बागवानी को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से अभियान चलाने की तैयारी कर रही है, जिससे इस क्षेत्र के किसान ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई से लाभान्वित हो सकेंगे।


ये भी पढ़ें: शहर में रहने वाले लोगों के लिए आयी, बिहार सरकार की ‘छत पर बाग़बानी योजना’, आप भी उठा सकते हैं फ़ायदा
दक्षिण बिहार के जिलों में वाटरशेड उन्नत करने पर भी जोर दिया जा रहा है। किसानों की परेशानी दूर करने के लिए डिजिटल कृषि की शुरुआत करने की भी बात हो रही है। इससे कृषि से जुड़ी सभी सुविधाएं डिजिटल युग के माध्यम से किसानों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। कृषि मंत्री ने तय समय में समस्याओं के समाधान के लिए पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं।

इन संकायों में कृषि अध्ययन

उपहार में देश के तहत कृषि अनुसंधान संस्थान बिहार कृषि विश्वविद्यालय, मीठापुर परिसर में कृषि व्यवसाय नियंत्रण महाविद्यालय, बिहार कृषि महाविद्यालय के तहत सबौर, भागलपुर में एक कृषि जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय और बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत आरा, भोजपुर में कृषि इंजीनियरिंग कॉलेज एक नजर चल रहा है। इसके अलावा राजेंद्र प्रसाद प्राथमिक कृषि विश्वविद्यालय पूसा के अंतर्गत पंडित दीन दयाल उपाध्याय उद्यान एवं वानिकी महाविद्यालय मोतिहारी संचालित है। आपको हम याद दिला दें कि धनतेरस के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के सूखा पीड़ित किसानों को एक बड़ा तोहफा दिया है। सीएम नीतीश ने घोषणा की है कि इस साल छठ पूजा से पहले सूखे से प्रभावित हर किसान परिवार के खाते में 3500 रुपये की राशि ट्रांसफर की जाएगी। पहले चरण में सीएम नीतीश ने कहा था कि जिलों को 500 करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं। सूखाग्रस्त फंड देने से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रत्येक जिले के डीएम के साथ आमने-सामने वीडियो कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान सीएम ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि छठ पूजा से पहले सभी किसान परिवारों के खातों में 3500 रुपये की राशि ट्रांसफर की जाए। गौरतलब है की सरकार बदलते ही बिहार के कृषि जगत मे भारी बदलाव दिखने को मिल रहा है। आधुनिक रूप से कृषि को बढ़ावा देने के साथ ही बेहतर प्रबंधन के साथ-साथ बिहार के कायाकल्प की तैयारी की जा रही है।
बागवानी लगाने के लिए बिहार सरकार किसानों को दे रही है 25000 रुपया

बागवानी लगाने के लिए बिहार सरकार किसानों को दे रही है 25000 रुपया

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हाल के दिनों में युवाओं का खेती के तरफ काफी रुझान बढ़ा है, जिससे खेती के क्षेत्र में भी काफी नए-नए प्रयोग और नए नए तकनीकी प्रयोग भी हो रहे हैं। इसी नए तकनीक के क्रम में जो आज इस लेख में जो मैं बताने जा रहा हूं, उसको जानकर आप काफी आश्चर्य में पड़ जाएंगे कि अब किसान बिना जमीन के भी अच्छा कमा सकते हैं। हाल फिलहाल के कुछ वर्षों में आप देख रहे होंगे कि लोग छत पर काफी तरीके का खेती और बागवानी लगा रहे हैं। इसके लिए सरकार भी काफी सुविधाएं दे रही है, क्योंकि इसमें वैसे किसान भी हिस्सा ले रहे हैं जिनके पास जमीन नहीं है। आपको बता दें कि इस तकनीक के कारण घर की महिलाएं भी अब खेती कर कमाने लगी हैं। जिन किसानों के पास जमीन की समस्याएं थी उनके लिए यह तकनीक वरदान की तरह साबित होते दिख रहा है।


ये भी पढ़ें:
बिहार सरकार ने रबी रथ महाभियान शुरू कर किसानों को योजनाओं के बारे में बताने का कार्य शुरू कर दिया
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि, सिर्फ किसान ही नहीं इसमें अच्छे खासे बड़े बड़े पैसे वाले लोग भी इस तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं, क्योंकि इस तकनीक के कारण वह अपने से उगाए हुए सब्जी का आनंद ले सकें। यह तकनीक खासकर कोरोना जैसी महामारी में लोगों को काफी मदद की है, जिस समय आम लोग बाहर नहीं निकल सकते थे, वह अपने छत पर इस तरीके के तकनीकों का उपयोग कर सब्जियां उगा सकते थे। आपको बता दें कि इस खेती के लिए सरकार भी काफी मदद कर लोगों को सब्सिडी दे रही है। आपको बता दें कि इस तरीके का प्रयोग कर शहरी क्षेत्रों के लोग अपने छत पर सब्जी टमाटर धनिया आदि को उपजा कर काफी मुनाफा कमा सकते हैं। इस तकनीक का प्रयोग दो तरीके से हो रहा है, पहला तरीका जिसमें लोग अपने घर की छतों पर गमला में मिट्टी के साथ कुछ ऑर्गेनिक खाद का प्रयोग कर आसानी से सब्जी उगा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर हाइड्रोपोनिक्स तरीके से किसान सब्जी और फल उगा रहे हैं, जिसमें मिट्टी की कोई आवश्यकता ही नहीं है। इस तकनीक में आप सिर्फ पानी का प्रयोग कर फल और सब्जी उगा सकते हैं। आपको बता दें कि हाइड्रोपोनिक्स तरीके से सब्जी और फल उगाने में जलवायु नियंत्रण जैसे किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। इस तरीके से सब्जी उगाने के लिए 30 डिग्री सेल्सियस तक तापमान की आवश्यकता होती है। इस हाइड्रोपोनिक्स तरीके की खेती में आद्रता ज्यादा से ज्यादा होने पर भी फसल अच्छी होती है।


ये भी पढ़ें: हाइड्रोपोनिक्स – अब मृदा की जगह पोषक तत्वों वाले पानी में उगाएँ सब्ज़ी और फ़सलें, उपज जानकर हो जाएंगे हैरान

सरकार भी दे रही है सब्सिडी

इस तरह की खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार लोगों को छत पर बागवानी मिशन के तहत ₹५०००० तक लोन तथा ५०% सब्सिडी देने की योजना बनाई है। अगर ठीक से देखा जाए तो इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार लोगों को ₹२५००० रुपए देने की योजना बनाई है।

अप्लाई करने का तरीका

जो भी व्यक्ति इस तरीके की खेती करना चाहते हैं वह बिहार सरकार के हॉर्टिकल्चर के वेबसाइट पर जाकर वहां अपना आवेदन कर सकते हैं। साथ ही आपको यह भी बता दें कि, इस योजना में आवेदन की शुरुआत 26 अक्टूबर से ही कर दी गई है। अगर आप भी चाहते हैं छत पर बागवानी लगाना और पैसा कमाना तो तो जल्द से जल्द करें आवेदन कहीं ए मौका आपके हाथों से निकल ना जाए।
मखाना की खेती करके किसान हो सकते हैं मालामाल मिल रहा है 75% सब्सिडी

मखाना की खेती करके किसान हो सकते हैं मालामाल मिल रहा है 75% सब्सिडी

मखाना (Fox nuts) की खेती करने के लिए बिहार पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, क्योंकि पूरी दुनिया में मखाने का 90% उत्पादन सिर्फ बिहार में होता है। बिहार सरकार मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है, आप अगर मखाने की खेती करना चाहते हैं तो इन योजनाओं का लाभ लेकर आप मखाने की खेती कर बेहतर मुनाफा अर्जित कर सकते है। बिहार में सबसे ज्यादा मखाने की खेती मधुबनी, दरभंगा, सुपौल, सहरसा, पूर्णिया और कटिहार जिलों में की जाती है। यहां के किसान मखाने की खेती करके बढ़िया मुनाफा अर्जित करते हैं। बिहार सरकार मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए व्यापक पैमाने पर शानदार प्रयास कर रही है और किसानों को प्रेरित भी कर रही है, जिससे किसान मखाने की खेती में पहले से ज्यादा रूचि ले रहे हैं।


ये भी पढ़ें: किसानों की फसल को बचाने के लिए शेडनेट पर मिलेगा ७५% तक का अनुदान
कुछ समय पहले मिथिलांचल की मखाना को जियो टैग मिला था। इसके बाद से राज्य सरकार उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बहुत जोर दे रही है। राज्य सरकार के द्वारा मखाना विकास योजना भी चलाई गई है, जिसके अंतर्गत मखाना उपजाने वाले किसानों को 75% की सब्सिडी दी जा रही है। मखाना उपजाने के लिए 75 % सब्सिडी का राज्य सरकार के द्वारा दिए जाने से किसानों को आर्थिक बल और सहयोग मिल रहा है, जिससे किसान मखाने की खेती कर बंपर लाभ कमा रहे है। अगर आप भी मखाने की खेती कर अपने बिजनेस को बढ़ावा देना चाहते हैं, तो इस योजना का लाभ ले सकते है। इस योजना का लाभ ले करके आप अपना खुद का एग्री बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं। बिहार के किसान मखाने की खेती के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग भी कर रहे हैं, जिससे किसानों को बंपर फायदा हो रहा है और किसान खुश नजर आ रहे हैं।

क्या है मखाना विकास योजना

बिहार कृषि विभाग के द्वारा मखाने की क्वालिटी प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए मखाना विकास योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के अंतर्गत मखाने के उच्चतम क्वालिटी के बीजों का उत्पादन और क्षमता के विकास करने पर जोर दिया जा रहा है। मुख्य तौर पर इस योजना का लाभ लेने के लिए और किसानों को जागरूक करने के लिए विशेष तौर पर कटिहार, दरभंगा, सुपौल, किशनगंज, पूर्णिया, सहरसा,अररिया,पश्चिमी चंपारण मधेपुरा, सीतामढ़ी और मधुबनी को कवर किया जा रहा है। अगर आप भी इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं और मखाने की खेती कर 75% की सब्सिडी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप बिहार सरकार के कृषि विभाग के ऑफिशियल पोर्टल state.bihar.gov.in/krishi/ पर जाकर इस योजना के बारे में विशेष जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। किसानों के आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सरकार प्रयासरत है और मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार लोगों को जागरुक भी कर रही है। [embed]https://youtu.be/dvDAN5o0vbA[/embed] साबौर मखाना-1 और स्वर्ण वैदेही प्रभेद मखाने को उच्चतम क्वालिटी का मखाना माना जाता है। राज्य सरकार अब इन्हीं दो उच्चतम क्वालिटी के मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है। बिहार राज्य सरकार के मापदंडों के अनुसार इन दोनों किस्मों के मखाने की खेती करने के लिए ₹97000 की अधिकतम लागत बताई गई है। जिसमें 75 प्रतिशत सब्सिडी राज्य सरकार खुद दे रही है, यानी ₹72750 तक का अनुदान इन दोनों किस्मों के मखाने की खेती करने के लिए दिया जा रहा है। कृषि विभाग के द्वारा गाइडलाइंस में साफ तौर पर कहा गया है कि अगर आप यह सब्सिडी की राशि प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप अपने जिले के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क कर सकते हैं।


ये भी पढ़ें: कृषि लोन लेने के लिए किसानों को नहीं होगी ज्यादा दिक्कत, रबी की फसल होगी जबरदस्त
खेती के साथ-साथ किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी राज्य सरकार के द्वारा कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति योजना भी चलाई जा रही है। इस योजना के तहत मखाने की प्रोसेसिंग करने के लिए यानी उद्योग लगाने के लिए किसान और व्यक्तिगत निवेशकों को 15% की सब्सिडी मिल रही है। मखाना प्रोसेसिंग यूनिट बनाने के लिए किसान उत्पादक संगठन (FPO/FPC) से भी करीब २५% के अनुदान का प्रावधान पहले से ही है। खेती के साथ-साथ किसान को एग्री बिजनेस से जोड़ने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है। किसानों को खेती करने के साथ-साथ उन्हें एग्रीबिजनेस से जोड़ने और आत्मनिर्भर बनाने को लेकर सरकार किसानों को लगतार प्रेरित कर रही है। बिहार सरकार किसानों के भविष्य को संवारने को लेकर संकल्पित है, पिछले दिनों में जिस तरह से कृषि विभाग के द्वारा एग्रीकल्चर कॉलेज खोलने को लेकर घोषणा करना और योजनाओं को धरातल पर लागू कराने के लिए जागरूकता अभियान चलाना। साथ ही साथ कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण देने से साफ जाहिर होता है, कि आने वाले समय में किसान आत्मनिर्भर बनेंगे और बेहतर मुनाफा अर्जित कर के खुशहाल जिंदगी जी सकेंगे।
यह सरकार कर रही भूरा तना मधुआ कीटों से प्रभावित फसल की सुरक्षा के लिए आवश्यक प्रयास

यह सरकार कर रही भूरा तना मधुआ कीटों से प्रभावित फसल की सुरक्षा के लिए आवश्यक प्रयास

बिहार के कृषि मंत्री सर्वजीत कुमार द्वारा बताया गया है कि कृषि विभाग द्वारा भूरा तना मधुआ नामक कीट के प्रकोप से किसानों की धान की तैयार फसल की बर्बादी का आकलन हो रहा है। आकलन उपरांत विभाग के माध्यम से जरुरी कार्रवाई होगी। बिहार के अधिकतर किसान आज भी प्रकृति पर निर्भर हैं। उत्तरी बिहार में जहां बाढ़ के चलते फसलें बर्बाद हो जाती हैं, तो वहीं दूसरी तरफ मगध क्षेत्र में समय पर बरसात न होने पर किसानों को सुखाड़ का सामना करना पड़ता है। बिहार सरकार के माध्यम से इन प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए विभिन्न योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। साथ ही, मुआवजा के रूप में धनराशि भी किसानों को दी जा रही है। लेकिन इन प्राकृतिक आपदाओं के अलावा भूरा तना मधुआ कीट भी किसानों के लिए सिर दर्द बन गया है, क्योंकि यह एकत्रित होकर थोड़े समय में ही फसल को बुरी तरह प्रभावित कर देते हैं। फिलहाल बिहार के किसानों को चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है, कृषि मंत्रालय द्वारा स्वयं इसके नियंत्रण के लिए प्रयास किया गया है।

ये भी पढ़ें:
धान की खड़ी फसलों में न करें दवा का छिड़काव, ऊपरी पत्तियां पीली हो तो करें जिंक सल्फेट का स्प्रे कृषि मंत्री सर्वजीत कुमार ने गुरुवार को प्रेस वार्ता के दौरान पटना में कहा कि भूरा तना मधुआ कीट (बीपीएच - ब्राउन प्लांट हॉपर; brown plant hopper; या कत्थई फुदका ) धान की फसल के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदेह साबित हो रहा है। खास कर इसके आक्रमण का प्रकोप गया, भोजपुर, बक्सर, नालंदा, लखीसराय एवं औरंगाबाद सहित प्रदेश के विभिन्न जनपदों में देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा इससे किसानों को छुटकारा दिलाने के लिए आवश्यक कदम उठाया गया है। पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक पदाधिकारियों की देखरेख में एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है।

फसल संरक्षण के लिए पूर्ण रूप से प्रयास हो रहा है

कृषि मंत्री ने बताया है कि पौधा संरक्षण संभाग के माध्यम से भूरा तना मधुआ कीट के नियंत्रण हेतु निर्धारित कीटनाशी का इस्तेमाल कर किसानों द्वारा कटाई के लिये तैयार धान की फसल को हानि से बचाने के प्रयास किये जा रहे हैं। निर्धारित कीटनाशी प्रति एकड़ 225-250 लीटर पानी में मिला कर, छिड़काव तने की ओर करें व प्रभावित क्षेत्र से 10 फीट की दूरी तक चारों ओर छिड़काव करें। ध्यान रखें की छिड़काव के वक्त खेत में अत्यधिक जल-जमाव न हो। उन्होंने कहा है कि इन कीटों द्वारा धान के तनों से रस को चूसने के कारण फसल को भारी क्षति पहुंचती है। इन हल्के-भूरे रंग के कीटों का जीवन चक्र 20-25 दिनों तक का होता है। बड़े और छोटे दोनों प्रकार के कीट पौधों के तने के मुख्य हिस्से पर रहकर रस चूसते हैं। ज्यादा रस निकलने के कारण धान के पौधों में पीलापन आ जाता है, साथ ही जगह-जगह पर चटाईनुमा आकार सा हो जाता है, जिसे ‘हॉपर बर्न’ (hopper burn) नाम से जाना जाता है।
प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान होने पर किसानों को मिलेगा बम्पर मुआवजा, ऐसे करें आवेदन

प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान होने पर किसानों को मिलेगा बम्पर मुआवजा, ऐसे करें आवेदन

खेती किसानी एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें हमेशा अनिश्चितताएं बनी रहती हैं। कभी भी मौसम की मार किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फेर सकती है। मौसम की बेरुखी के कारण किसानों को जबरदस्त नुकसान झेलना पड़ता है।

अगर पिछले कुछ दिनों की बात करें तो देश भर में मौसम ने अपना कहर बरपाया है, जिससे लाखों किसान बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। कई दिनों तक चली बरसात और ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसलें तबाह हो गईं। 

सबसे ज्यादा नुकसान गेहूं, चना, मसूर और सरसों की फसलों को हुआ है। ऐसे नुकसान से बचने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई है, जिससे किसानों को हुए नुकसान की भरपाई आसानी से की जा सकती है।

लेकिन कई बार देखा गया है कि किसान इस योजना के साथ नहीं जुड़ते। ऐसे में किसानों को सरकार अपने स्तर पर अनुदान देती है ताकि किसान अपने पैरों पर खड़े रह पाएं। 

किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए बिहार की सरकार ने 'कृषि इनपुट अनुदान योजना' चलाई है। इस योजना के तहत यदि किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदा के कारण किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो सरकार अनुदान के रूप में किसानों को 13,500 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। 

यह मदद ऐसे किसानों को दी जाएगी जो सिंचित इलाकों में खेती करते हों। इसके साथ ही 'कृषि इनपुट अनुदान योजना' के अंतर्गत असिंचित इलाकों में खेती करने वाले किसानों को फसल नुकसान पर 6,800 रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। 

राज्य के ऐसे कई इलाके हैं जहां पर नदियों से आने वाली रेत के कारण फसल चौपट हो जाती है। ऐसे किसानों को फसल नुकसान पर 12,200 रुपये का अनुदान दिया जाएगा।

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए ये किसान कर सकते हैं आवेदन

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए किसान को बिहार का स्थायी निवासी होना जरूरी है। इसके साथ ही किसान के पास खुद की कम से कम 2 हेक्टेयर कृषि भूमि होना चाहिए। 

डीबीटी के माध्यम से अनुदान ट्रांसफर करने में आसानी हो, इसके लिए किसान का बैंक खाता उसके आधार कार्ड नंबर से लिंक होना चाहिए। 

ये भी पढ़े: बेमौसम बरसात से हुए नुकसान का किसानों को मिलेगा मुआवजा, सरकार ने जारी किए करोड़ों रुपये

योजना का लाभ लेने के लिए ये दस्तावेज होंगे जरूरी

इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, वोटर आई डी, मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो, घोषणा पत्र, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र आदि होना जरूरी है। इन सभी चीजों का विवरण आवेदन करते समय देना अनिवार्य है।

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए ऐसे करें आवेदन

प्राकृतिक आपदाओं से फसल को होने वाले नुकसान का अनुदान प्राप्त करने के लिए किसान भाई बिहार के कृषि विभाग की वेबसाइट https://dbtagriculture.bihar.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

इस वेबसाइट पर जाकर किसान खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। इसके साथ ही आवेदन करने के लिए अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय, वसुधा केंद्र या जन सेवा केंद्र पर भी संपर्क कर सकते हैं।

इस राज्य में 810 करोड़ की धनराशि से लाखों किसानों को मिलेगा फसल बीमा का फायदा

इस राज्य में 810 करोड़ की धनराशि से लाखों किसानों को मिलेगा फसल बीमा का फायदा

आपकी जानकारी के लिए बतादें कि बिहार सरकार की तरफ से निरंतर कृषकों के फायदे में कदम उठा रही है। हाल ही में राज्य के किसानों को 810 करोड़ रुपये फसल बीमा हेतु जारी किए जाएंगे। इससे कृषकों को आर्थिक तौर पर सहायता मिलेगी। केंद्र और राज्य सरकार किसानों को सहूलियत देने का कार्य कर रही हैं। जानकारी के लिए बतादें, कि बारिश, ओलावृष्टि, सूखा और बाढ़ में फसल तबाह होेने पर किसानों को मुआवजा प्रदान किया जाता है। किसान भाइयों को अनुदान पर बीज मुहैय्या करवाए जाते हैं। साथ ही, बहुत सारी मशीनों पर भी भारी छूट प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त भी कृषकों को यंत्रों की खरीद करने पर भी भारी राहत मुहैय्या कराई जाती है। हाल ही में बिहार सरकार की तरफ से किसानों के हित में कदम उठाए गए हैं। किसानों को हुए फसलीय नुकसान के बदले में किसानों को राहत देनी चालू कर दी गई है। राज्य सरकार के सहयोग से बीमा कंपनियां कृषकों को फसल बीमा प्रदान कर रही हैं।

कितने लाख कृषकों को जारी किए जाएंगे 810 करोड़ रुपये

कृषि मंत्री की ओर से सूखा प्रभावित क्षेत्र के कृषकों के लिए बड़ी सहूलियत प्रदान की गई है। झारखंड में 683922 किसानों को फसल बीमा योजना का फायदा प्रदान किया जाएगा। जिसके लिए पूरा खाका राज्य सरकार की तरफ से खींच लिया गया है। लगभग 810 करोड़ रुपये की बीमित धनराशि कृषकों को मुहैय्या कराई जाएगी। साल 2018-19 में किसानों द्वारा खरीफ एवं रबी सीजन की फसलों हेतु बीमा करवाया था। किसानों को बेहद फसलीय हानि हुई थी। अब इन कृषकों के भुगतान की प्रक्रिया शुरू की जानी है। यह भी पढ़ें : जानें भारत विश्व में फसल बीमा क्लेम दर के मामले में कौन-से स्थान पर है

राज्य सरकार द्वारा 362 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है

किसानों को बकाया भुगतान करने के मामले में राज्य सरकार काफी सजग है। वर्तमान में राज्य सरकार के अधिकारियों एवं बीमा कंपनी के अधिकारियों के मध्य किसानों को बीमा भुगतान करने के लिए बैठक हुई थी। राज्य सरकार की तरफ से कंपनियों को 362.5 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है। इसके उपरांत से ही कंपनियों द्वारा कृषकों को भुगतान करने की कवायद जारी कर दी है।

किसानों को समय से ही धनराशि प्रदान की जा रही है

राज्य सरकार द्वारा कृषकों का समयानुसार भुगतान किया जा रहा है। मीडिया खबरों के मुताबिक, राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का कहना है, कि अब तक सरकार की तरफ से बीमा कंपनियों को करोड़ों रुपये का भुगतान हो जाता था। लेकिन किसान भाईयों को धनराशि प्राप्त नहीं हो पाती थी। इसमें बहुत सारी तकनीकी समस्याएं देखने को मिलीं। अब राज्य सरकार की तरफ से राज्यांश की धनराशि प्रदान करनी समाप्त कर दी है। साथ ही, बीमा कंपनियों के समक्ष यह शर्त रखी गई है, कि जब तक बीमा कंपनियां यह लिखित में नहीं देंगी कि किसानों को बीमा भुगतान किया जाएगा, तबतक राज्यांश नहीं दिया जाएगा।